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🌟 कहानी: "मिट्टी की खुशबू"

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परिचय राघव शहर में रहने वाला एक साधारण युवक था। उसके सपने बड़े थे, लेकिन नौकरी की भागदौड़ और शहर की भीड़ में वह कहीं खो गया था। बचपन में उसने अपने दादा-दादी से गाँव की कहानियाँ सुनी थीं – खेतों की हरियाली, मिट्टी की खुशबू और इंसानों के बीच का अपनापन। लेकिन अब शहर में सब कुछ पैसों और दिखावे पर टिक गया था। संघर्ष राघव की नौकरी अच्छी थी, लेकिन दिल से वह खुश नहीं था। रोज़ ऑफिस जाना, ट्रैफिक झेलना, बॉस की डाँट सुनना – यही उसकी ज़िंदगी बन गई थी। वह सोचता था – “क्या यही ज़िंदगी है? क्या सिर्फ पैसे कमाने के लिए इंसान जीता है?” गाँव की यादें एक दिन राघव को अपने गाँव से खबर मिली कि उसके दादा जी की तबीयत बहुत खराब है। वह तुरंत गाँव पहुँचा। बरसों बाद गाँव की मिट्टी पर कदम रखते ही उसे अपने बचपन की यादें ताज़ा हो गईं। खेतों की ठंडी हवा, मिट्टी की खुशबू और रिश्तों की गर्माहट ने उसका दिल छू लिया। दादा जी की बातें दादा जी ने उसका हाथ पकड़कर कहा – “बेटा, पैसा ज़रूरी है, लेकिन इंसान की असली दौलत उसका मन और रिश्ते हैं। ये खेत-खलिहान हमें सिखाते हैं कि बीज बोएंगे तो ही फसल मिलेगी। मेहनत और धैर्य – यही जीवन...